पेरेंटिंग- बेटा कॉलेज जाकर स्टूडेंट पॉलिटिक्स में लग गया है: क्लास बंक
लखनऊ के एक पिता अपने 21 वर्षीय बेटे की बढ़ती राजनीतिक सक्रियता से चिंतित हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ रहा उनका बेटा पढ़ाई की बजाय छात्र राजनीति में ज्यादा रुचि ले रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आने वाले पिता को डर है कि यह उनके बेटे के करियर में बाधा बन सकता है। वे अपने बेटे को समझाना चाहते हैं कि यह समय उसके करियर के लिए महत्वपूर्ण है। इस मुद्दे पर एक मनोवैज्ञानिक ने माता-पिता को सलाह दी है कि वे कैसे अपने बच्चे को समझा सकते हैं।
पिता की चिंता और मनोवैज्ञानिक की सलाह
लखनऊ के एक पिता ने अपने बेटे की बढ़ती राजनीतिक सक्रियता पर चिंता जताई है। उनका बेटा दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक कर रहा है और पिछले कुछ समय से छात्र राजनीति में सक्रिय हो गया है। पिता को डर है कि यह उसके करियर में बाधा बन सकता है। मनोवैज्ञानिक डॉ. अमिता श्रृंगी ने इस स्थिति पर कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं:
- छात्र राजनीति को पूरी तरह गलत न मानें
- बेटे से शांत माहौल में बात करें
- उसे जिम्मेदारी का अहसास कराएं
- पढ़ाई और राजनीति के बीच संतुलन बनाने में मदद करें
बेटे को समझाने के तरीके
डॉ. श्रृंगी ने कहा कि माता-पिता को अपने बच्चे से 6 महत्वपूर्ण सवाल पूछने चाहिए। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि क्या छात्र राजनीति उसके लिए सिर्फ शौक है या वह इसे भविष्य के रूप में देख रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि बेटे को समझाएं कि मजबूत करियर उसकी राजनीतिक पहचान को और विश्वसनीय बनाएगा।
पढ़ाई और राजनीति का संतुलन
मनोवैज्ञानिक ने बताया कि माता-पिता को अपने बच्चे को यह समझाना चाहिए कि पढ़ाई और राजनीति एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हो सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि बेटे के साथ एक नियमित टाइम-टेबल बनाया जाए, जिसमें राजनीति और पढ़ाई दोनों के लिए समय तय हो। साथ ही, उन्होंने कहा कि माता-पिता को पढ़े-लिखे सफल नेताओं के उदाहरण देने चाहिए, जिन्होंने शिक्षा और राजनीति को साथ-साथ आगे बढ़ाया।
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