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Haridwar : IIT Roorkee की स्टडी में बड़ा खुलासा!, शिव मंदिरों

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Haridwar : IIT Roorkee की स्टडी में बड़ा खुलासा!, शिव मंदिरों

आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण अध्ययन में पाया है कि भारत के आठ प्रमुख शिव मंदिर प्राकृतिक संसाधनों के हॉटस्पॉट के साथ संरेखित हैं। यह खोज प्राचीन भारतीय ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच एक अनोखा संबंध दर्शाती है। अमृता विश्व विद्यापीठम और उप्साला विश्वविद्यालय के सहयोग से किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि ये मंदिर न केवल आध्यात्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि जल, ऊर्जा और कृषि उत्पादकता के केंद्रों से भी जुड़े हुए हैं। यह खोज भारत की सांस्कृतिक विरासत में छिपी पर्यावरणीय समझ को उजागर करती है, जो आज की जलवायु चुनौतियों के समाधान में मददगार हो सकती है।

शिव मंदिरों का रणनीतिक स्थान

अध्ययन में केदारनाथ से रामेश्वरम तक फैले आठ प्रमुख शिव मंदिरों का विश्लेषण किया गया। ये मंदिर 79° पूर्वी देशांतर रेखा के आस-पास स्थित शिव शक्ति अक्ष रेखा (SSAR) पर पाए गए। शोधकर्ताओं ने उपग्रह डेटा और पर्यावरणीय विश्लेषण का उपयोग करके यह निष्कर्ष निकाला कि इन मंदिरों का स्थान चुनाव बहुत सोच-समझकर किया गया था।

  • मंदिर जल संसाधनों की उपलब्धता वाले क्षेत्रों में स्थित हैं
  • ये स्थान कृषि उत्पादकता के लिहाज से समृद्ध हैं
  • इन क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा की उच्च क्षमता पाई गई
  • मंदिर पंचतत्वों (पंचभूत) के प्रतीक माने जाते हैं

प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का मेल

अध्ययन के प्रमुख लेखक भाबेश दास का मानना है कि प्राचीन मंदिर निर्माता केवल धार्मिक नेता नहीं, बल्कि कुशल पर्यावरण योजनाकार भी थे। उनके अनुसार, इन मंदिरों का निर्माण भूमि, जल और ऊर्जा संसाधनों की गहरी समझ पर आधारित था। यह खोज दर्शाती है कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर में छिपी पर्यावरणीय समझ आज भी प्रासंगिक है।

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अध्ययन का महत्व और भविष्य की संभावनाएं

इस शोध को ह्यूमैनिटीज़ एंड सोशल साइंसेज कम्युनिकेशंस में प्रकाशित किया गया है। सह-अन्वेषक प्रो. थंगा राज चेलिया ने इसे एक महत्वपूर्ण अंतःविषय सहयोग बताया है। यह अध्ययन भारतीय सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक पर्यावरण चुनौतियों के बी

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