मथुरा में बाढ़ से फसलें नष्ट, मुआवजे से वंचित ग्रामीण: चकबंदी अभिलेख
मथुरा के रायपुर गांव के किसानों ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर अपनी समस्याओं का समाधान मांगा है। हाल की बाढ़ से फसलें बर्बाद हो गई हैं, लेकिन अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिला है। ग्रामीणों का कहना है कि नुकसान का आकलन करने कोई अधिकारी गांव नहीं आया। इसके अलावा, 1982 की चकबंदी के अभिलेख अभी तक ऑनलाइन नहीं हुए हैं, जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। किसानों ने उचित मुआवजे और चकबंदी अभिलेख ऑनलाइन कराने की मांग की है।
बाढ़ से हुए नुकसान और मुआवजे की मांग
मथुरा के तहसील मॉट क्षेत्र की ग्राम पंचायत रायपुर के किसानों ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर अपनी समस्याओं के समाधान की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि हाल ही में आई बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं से उनकी पूरी फसल बर्बाद हो गई है। लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई राहत या मुआवजा नहीं दिया गया है।
- किसानों की फसलें बाढ़ से पूरी तरह नष्ट हो गई हैं
- प्रशासन की ओर से अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिला है
- नुकसान का आकलन करने कोई अधिकारी गांव नहीं आया
- किसानों ने उचित मुआवजे की मांग की है
चकबंदी अभिलेखों की समस्या
किसानों ने एक अन्य गंभीर समस्या की ओर भी ध्यान दिलाया है। उनका गांव खादर क्षेत्र में आता है, जहां वर्ष 1982 में चकबंदी हुई थी। लेकिन उसके अभिलेख आज तक ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड नहीं हुए हैं। इस वजह से ग्रामीणों को अपनी जमीन की फर्द नहीं मिल पाती और वे सरकारी योजनाओं से वंचित रह जाते हैं।
किसानों की आर्थिक समस्याएं
चकबंदी अभिलेखों की समस्या के कारण किसानों को बैंक से ऋण नहीं मिल पाता है। इसके चलते उन्हें साहूकारों से ऊंचे ब्याज पर कर्ज लेना पड़ता है। यह स्थिति उनकी आर्थिक हालत को और बिगाड़ देती है। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से बाढ़ से हुए नुकसान का उचित मुआवजा दिलाने और चकबंदी अभिलेख तुरंत ऑनलाइन कराने की मांग की है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि प्रशासन उनकी इन गंभीर समस्याओं का शीघ्र समाधान करेगा।
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