चुनाव आयोग ने 23 राजनीतिक दलों को किया डी लिस्ट: 15 पॉलिटिकल
मध्य प्रदेश में चुनाव आयोग ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 23 राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द कर दी है। यह कदम उन दलों के खिलाफ उठाया गया है जो 2019 से अब तक कोई चुनाव नहीं लड़े और पिछले तीन साल का ऑडिट रिकॉर्ड जमा नहीं किया। आयोग ने इन दलों को पहले नोटिस भेजा था और जवाब न मिलने पर यह कठोर कदम उठाया। यह कार्रवाई देशभर में चल रहे अमान्य दलों के खिलाफ अभियान का हिस्सा है, जिसमें अब तक 808 दलों को डी-लिस्ट किया जा चुका है।
चुनाव आयोग की कार्रवाई के कारण
चुनाव आयोग ने इन राजनीतिक दलों को डी-लिस्ट करने का फैसला कई कारणों से लिया है:
- 2019 से अब तक किसी भी चुनाव में भाग न लेना
- पिछले तीन साल का ऑडिट रिकॉर्ड जमा न करना
- आयोग के नोटिस का जवाब न देना
- जन प्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 29A का उल्लंघन
नोटिस और कार्रवाई का प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने इन दलों को एक महीने पहले नोटिस भेजा था। नोटिस में कहा गया था कि अगर एक माह में उचित जवाब नहीं दिया गया तो मान्यता समाप्त कर दी जाएगी। जवाब न मिलने पर आयोग ने इन 23 दलों को डी-लिस्ट करने का निर्णय लिया।
राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा
यह कार्रवाई देशभर में चल रहे एक बड़े अभियान का हिस्सा है। चुनाव आयोग ने अब तक तीन चरणों में कुल 808 राजनीतिक दलों को डी-लिस्ट किया है:
- पहले चरण में 9 अगस्त को 334 दल
- दूसरे चरण में 474 दल
- तीसरे चरण में 359 दलों को नोटिस (जिसमें मध्य प्रदेश के 6 दल शामिल)
इस कार्रवाई का उद्देश्य निष्क्रिय और अवैध राजनीतिक दलों को हटाना है, जो चुनावी प्रक्रिया में बिना किसी योगदान के लाभ उठा रहे थे। यह कदम भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने और चुनावी प्रणाली में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।
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