उज्जैन में रावण दहन के विरोध में पोस्टर लगे: ब्राह्मणों से रावण
उज्जैन में अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज और महाकाल सेना ने रावण दहन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। दशहरा से पहले शहर में विरोध पोस्टर लगाए गए हैं। संगठनों का कहना है कि रावण दहन की परंपरा मनोरंजन और राजनीति का साधन बन गई है। उन्होंने इसे बंद करने की अपील की है। पिछले साल भी इसी तरह की मांग उठाई गई थी। यह विवाद उज्जैन में धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं पर बहस को जन्म दे रहा है।
रावण दहन विरोध के कारण
महाकाल सेना और ब्राह्मण समाज ने रावण दहन के खिलाफ कई तर्क दिए हैं:
- इतिहास या रामायण में रावण दहन का कोई उल्लेख नहीं है
- यह परंपरा अब मनोरंजन और राजनीति का साधन बन गई है
- रावण को गलत तरीके से अभिमानी और अत्याचारी दिखाया जाता है
- इससे लाखों ब्राह्मणों का अपमान होता है
विरोध के तरीके
संगठनों ने अपना विरोध जताने के लिए कई कदम उठाए हैं। उज्जैन के रामघाट, गुदरी चौराहे और महाकाल घाटी के पास विरोध पोस्टर लगाए गए हैं। महाकाल सेना ने ब्राह्मणों से रावण दहन जैसे आयोजनों में भाग न लेने की अपील की है। दोनों संगठनों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस परंपरा पर रोक लगाने की मांग की है।
प्रतिक्रियाएं और आगे की राह
इस विवाद ने उज्जैन में धार्मिक परंपराओं पर बहस छेड़ दी है। संगठनों ने रावण दहन करने वाली समितियों से कई सवालों के शास्त्र सम्मत जवाब मांगे हैं। उनका कहना है कि अगर जवाब नहीं मिलते तो रावण दहन बंद किया जाना चाहिए। हालांकि, अभी तक सरकार या स्थानीय प्रशासन की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस साल दशहरे पर रावण दहन होता है या नहीं।
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