धर्मशाला में बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा का श्रद्धालुओं को संदेश: धर्म को
हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने श्रद्धालुओं को दर्शन देते हुए धर्म को दैनिक जीवन में उतारने का महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा कि धर्म केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे रोजमर्रा के व्यवहार में अपनाना चाहिए। दलाई लामा ने युवाओं को बौद्ध विचारधारा को आधुनिक जीवनशैली के अनुरूप ढालने की सलाह दी। इस अवसर पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रधानमंत्री सिक्योंग पेन्पा त्सेरिंग ने भी दलाई लामा से मुलाकात की और तिब्बती समुदाय के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी।
धर्म को जीवन में उतारने का आह्वान
दलाई लामा ने अपने संबोधन में धर्म को व्यावहारिक जीवन से जोड़ने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि धर्म को सिर्फ किताबों में नहीं खोजना चाहिए, बल्कि इसे करुणा, सहानुभूति और नैतिक मूल्यों के रूप में अपनाना चाहिए। उनके अनुसार, दूसरों के प्रति दया भाव रखना और उनके दुखों को समझना ही वास्तविक बौद्ध साधना है।
- धर्म को दैनिक जीवन के व्यवहार में उतारना महत्वपूर्ण
- करुणा और सहानुभूति को अपनाना सच्ची साधना
- धर्म को केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित न रखें
युवाओं के लिए विशेष संदेश
बौद्ध धर्मगुरु ने युवाओं को विशेष संदेश देते हुए कहा कि बदलते समय में बौद्ध विचारधारा को आधुनिक जीवनशैली के अनुरूप ढालना जरूरी है। उन्होंने पुरानी मान्यताओं को नए संदर्भों में समझने और लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया।
तिब्बती प्रशासन के प्रयासों की सराहना
इस अवसर पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रधानमंत्री सिक्योंग पेन्पा त्सेरिंग ने दलाई लामा से मुलाकात की। उन्होंने 16वें काशाग की उपलब्धियों की जानकारी दी और बताया कि काशाग तिब्बती समुदाय की शिक्षा, सांस्कृतिक संरक्षण और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत बना रहा है। दलाई लामा ने सिक्योंग और उनकी टीम के प्रयासों की सराहना की, जो तिब्बती संस्कृति और समुदाय के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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