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बोर्ड परीक्षाओं में बड़ा बदलाव: 2025-26 से कक्षा 10 और 12 के छात्र साल में दो बार दे सकेंगे परीक्षा

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Noida June 26, 2024 : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 से कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्रों के लिए बोर्ड परीक्षाओं में बड़ा बदलाव किया है। अब छात्रों को साल में दो बार बोर्ड परीक्षा में शामिल होना होगा।

शिक्षा मंत्रालय ने सीबीएसई को नए एकेडमिक सेशन 2025-26 से साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के लिए लॉजिस्टिक्स विकसित करने का निर्देश दिया है। अगले महीने मंत्रालय और सीबीएसई बोर्ड 2 बार परीक्षा आयोजित करने के संबंध में स्कूल प्रिंसिपलों से सलाह-मशविरा करेंगे।

सूत्रों की मानें तो सेमेस्टर प्रणाली की शुरूआत को खारिज कर दिया गया है। बोर्ड अभी अंडरग्रेजुएट एडमिशन शेड्यूल को बाधित किए बिना बोर्ड परीक्षाओं के एक अतिरिक्त सेट को जोड़ने के लिए एकेडमिक कैलेंडर की संरचना पर काम कर रहा है।

इन बदलावों का मकसद छात्रों को अधिक अवसर देना और उनके प्रदर्शन में सुधार लाना है। दोनों परीक्षाओं में से जिस भी बोर्ड परीक्षा में किसी छात्र के सबसे ज्यादा नंबर होंगे, वह उस नंबर का इस्तेमाल आगे की पढ़ाई में कर सकता है।

ये सभी बदलाव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत किए जा रहे हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले साल छत्तीसगढ़ में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि एकेडमिक सेशन 2025-26 से छात्रों को साल में दो बार बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने का मौका मिलेगा।

सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में क्या होगा बदलाव?

सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में होने वाले बदलावों के बारे में अधिक जानकारी देते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब छात्रों को साल में दो बार बोर्ड परीक्षा में शामिल होना होगा। पहली परीक्षा मार्च-अप्रैल में और दूसरी परीक्षा अक्टूबर-नवंबर में आयोजित की जाएगी।

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उन्होंने कहा कि दोनों परीक्षाओं में से जिस भी परीक्षा में छात्र का प्रदर्शन बेहतर होगा, उसी का नतीजा अंतिम रूप से मान्य होगा। इसका मतलब है कि अगर किसी छात्र ने पहली परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन किया और दूसरी परीक्षा में उसका प्रदर्शन कमजोर रहा, तो पहली परीक्षा का नतीजा ही मान्य होगा।

इस बदलाव का मकसद छात्रों को अधिक अवसर देना और उनके प्रदर्शन में सुधार लाना है। साथ ही, यह छात्रों को अंडरग्रेजुएट एडमिशन प्रक्रिया में भी मदद करेगा।

सेमेस्टर प्रणाली की शुरूआत को किया गया खारिज

सूत्रों की मानें तो सीबीएसई ने सेमेस्टर प्रणाली की शुरूआत को खारिज कर दिया है। बोर्ड अभी अंडरग्रेजुएट एडमिशन शेड्यूल को बाधित किए बिना बोर्ड परीक्षाओं के एक अतिरिक्त सेट को जोड़ने के लिए एकेडमिक कैलेंडर की संरचना पर काम कर रहा है।सेमेस्टर प्रणाली के तहत, बोर्ड परीक्षा को दो भागों में विभाजित किया जाता था –

पहला सेमेस्टर और दूसरा सेमेस्टर। हर सेमेस्टर में छात्रों को अलग-अलग परीक्षा देनी होती थी।हालांकि, अब बोर्ड ने इस प्रणाली को खारिज कर दिया है और साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया है। इस बदलाव का मकसद छात्रों को अधिक अवसर देना और उनके प्रदर्शन में सुधार लाना है।

नई शिक्षा नीति के तहत किए जा रहे हैं बदलाव

ये सभी बदलाव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत किए जा रहे हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले साल छत्तीसगढ़ में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि एकेडमिक सेशन 2025-26 से छात्रों को साल में दो बार बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने का मौका मिलेगा।

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नई शिक्षा नीति में कई अन्य बदलावों की भी बात कही गई है, जैसे कि स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 के ढांचे में बांटना, मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा को माध्यम भाषा बनाना, स्कूलों में कौशल शिक्षा को शामिल करना और उच्च शिक्षा में एकीकृत बहुविषयक शिक्षा का समावेश।

इन बदलावों का मकसद भारतीय शिक्षा प्रणाली को और अधिक लचीला, उत्तरदायी और बच्चों के लिए प्रासंगिक बनाना है। साथ ही, यह छात्रों को अधिक अवसर देकर उनके सर्वांगीण विकास को प्रोत्साहित करता है।

स्कूल प्रिंसिपलों से होगी सलाह-मशविरा

शिक्षा मंत्रालय और सीबीएसई बोर्ड अगले महीने स्कूल प्रिंसिपलों से सलाह-मशविरा करेंगे। इस बैठक में साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के संबंध में चर्चा होगी।

प्रिंसिपलों से इनपुट लेने का मकसद है कि इस बदलाव को कैसे लागू किया जाए और इससे होने वाली कठिनाइयों पर चर्चा की जा सके। साथ ही, यह भी देखा जाएगा कि इस बदलाव से छात्रों और स्कूलों पर क्या असर पड़ेगा।

इस बैठक में शिक्षा मंत्रालय और सीबीएसई बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। उम्मीद है कि इस चर्चा के बाद, बोर्ड परीक्षाओं में होने वाले बदलावों की एक स्पष्ट रूपरेखा तैयार हो जाएगी।

छात्रों को मिलेगा अधिक अवसर

इन बदलावों का मकसद छात्रों को अधिक अवसर देना और उनके प्रदर्शन में सुधार लाना है। दोनों परीक्षाओं में से जिस भी बोर्ड परीक्षा में किसी छात्र के सबसे ज्यादा नंबर होंगे, वह उस नंबर का इस्तेमाल आगे की पढ़ाई में कर सकता है।

इससे छात्रों को अंडरग्रेजुएट एडमिशन प्रक्रिया में भी मदद मिलेगी। वे अपने बेहतर प्रदर्शन वाली परीक्षा के नतीजे का इस्तेमाल कर सकेंगे और अपनी पसंद के कॉलेज में एडमिशन ले सकेंगे।साथ ही, यह छात्रों को अपने कमजोर विषयों पर ध्यान देने और उनमें सुधार करने का मौका भी देगा। अगर किसी छात्र का प्रदर्शन पहली परीक्षा में कमजोर रहा, तो वह दूसरी परीक्षा में बेहतर करने का प्रयास कर सकता है।

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इस तरह, साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का फैसला छात्रों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। यह उन्हें अधिक अवसर देकर उनके सर्वांगीण विकास को प्रोत्साहित करेगा और उनके भविष्य को भी प्रभावित करेगा।

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