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हाईकोर्ट बोला- सिस्टमेटिक करप्शन में अफसर भी शामिल: छत्तीसगढ़

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हाईकोर्ट बोला- सिस्टमेटिक करप्शन में अफसर भी शामिल: छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दिव्यांगों के कल्याण के लिए स्थापित स्टेट रिसोर्स सेंटर (ARC) और फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर (PRC) में हुए 1000 करोड़ रुपये के कथित घोटाले की CBI जांच के आदेश दिए हैं। इन संस्थाओं में फर्जी नियुक्तियां दिखाकर और उपकरण खरीद के नाम पर करोड़ों रुपये का गबन किया गया। हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला सिर्फ दिव्यांगों के अधिकारों का नहीं, बल्कि सार्वजनिक धन के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग का है। कोर्ट ने राज्य सरकार पर उच्च अधिकारियों को बचाने का आरोप लगाया और कहा कि निष्पक्ष जांच के बिना दोषियों तक पहुंचना संभव नहीं है।

घोटाले का खुलासा और शिकायत

2004 में छत्तीसगढ़ सरकार ने दिव्यांगों के पुनर्वास के लिए स्टेट रिसोर्स सेंटर (ARC) की स्थापना की। 2012 में इसी के अंतर्गत फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर (PRC) बनाया गया। लेकिन RTI से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ये संस्थाएं सिर्फ कागजों पर थीं और इनके माध्यम से सरकारी अनुदान का दुरुपयोग किया जा रहा था।

  • कर्मचारियों की फर्जी नियुक्तियां दिखाई गईं
  • वेतन और उपकरण खरीद के नाम पर करोड़ों रुपये निकाले गए
  • कई वरिष्ठ IAS अधिकारी इन संस्थाओं में पदाधिकारी थे
  • 14 साल तक ARC का ऑडिट नहीं हुआ

याचिकाकर्ता का दावा और जांच में खुलासे

रायपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने 2018 में जनहित याचिका दायर की। उन्होंने दावा किया कि उनके नाम पर PRC में काम करने का फर्जी रिकॉर्ड बनाकर वेतन निकाला गया, जबकि उन्होंने कभी वहां काम नहीं किया। वित्त विभाग की ऑडिट में 31 वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं।

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हाईकोर्ट के आदेश और टिप्पणियां

जस्टिस प्रार्थ प्रतीम साहू और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच ने कहा कि इतनी बड़ी वित्तीय अनियमितताओं को केवल प्रशासनिक त्रुटि बताना न्यायसंगत नहीं है। कोर्ट ने CBI को पहले से दर्ज FIR के आधार पर जांच जल्द पूरी करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि यह सिस्टमेटिक भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें उच्च स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं, इसलिए जांच किसी स्वतंत्र ए

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