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सिविल जज भर्ती एग्जाम, बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन जरूरी: सुप्रीम

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सिविल जज भर्ती एग्जाम, बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन जरूरी: सुप्रीम

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सिविल जज (जूनियर डिवीजन) भर्ती 2023-24 के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाया कि भर्ती प्रक्रिया विज्ञापन में निर्धारित नियमों के अनुसार ही होगी। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि राज्य लोक सेवा आयोग (PSC) द्वारा तय की गई शर्तें संविधान का उल्लंघन करती हैं। हालांकि, कोर्ट ने माना कि न्यायिक सेवा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए ये नियम आवश्यक हैं।

याचिकाकर्ताओं के तर्क और कोर्ट का रुख

याचिकाकर्ताओं ने लोक अभियोजन अधिकारियों और अन्य सरकारी सेवा में कार्यरत विधि स्नातकों के लिए बार काउंसिल में नामांकन की समस्या उठाई। उनका कहना था कि इस कारण वे सिविल जज परीक्षा में शामिल होने से वंचित हो रहे हैं। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया।

  • कोर्ट ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया विज्ञापन की तारीख पर लागू नियमों के अनुसार चलेगी
  • 23 दिसंबर 2024 को लागू पंजीकरण शर्त ही मान्य होगी
  • फ्रेश लॉ ग्रेजुएट्स को सीधे जज बनाना उचित नहीं माना गया

सरकार और PSC का पक्ष

राज्य सरकार और PSC ने अपने जवाब में कहा कि याचिकाकर्ता यह साबित नहीं कर पाए हैं कि नियमों में किसी प्रकार का संवैधानिक उल्लंघन हुआ है। उन्होंने तर्क दिया कि ये शर्तें न्यायिक सेवा की गुणवत्ता और कार्यप्रणाली बनाए रखने के लिए लागू की गई हैं।

हाईकोर्ट का अंतिम निर्णय

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना कि कम से कम 3 साल की प्रैक्टिस आवश्यक है, ताकि उम्मीदवार कोर्ट की कार्यप्रणाली को समझ सकें और न्यायिक सेवा की गुणवत्ता प्रभावित न हो। इस प्रकार, हाईकोर्ट ने सिविल जज भर्ती के विरुद्ध दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया और निर्धारित नियमों के अनुसार भर्ती प्रक्रिया जारी रखने का आदेश दिया।

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