जूपी ने 170 कर्मचारियों को किया बाहर, भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग
भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग गहरे संकट से गुजर रहा है। हाल ही में लागू हुए नए नियमों के कारण कई कंपनियां बड़े पैमाने पर छंटनी कर रही हैं। जूपी ने अपनी 30% वर्कफोर्स यानी 170 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है। MPL और पोकरबाजी जैसी अन्य कंपनियां भी कर्मचारियों को बाहर कर रही हैं। इस कदम से लगभग 2 लाख नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं और सरकार को भी भारी राजस्व का नुकसान हो सकता है। जूपी और अन्य कंपनियों द्वारा की गई छंटनी जूपी ने 170 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है , जो उसकी कुल वर्कफोर्स का 30% है। कंपनी ने बताया कि वह अब फैंटसी गेमिंग की जगह सोशल गेम्स और छोटे वीडियो कंटेंट पर
जूपी और अन्य कंपनियों द्वारा की गई छंटनी
जूपी ने 170 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है, जो उसकी कुल वर्कफोर्स का 30% है। कंपनी ने बताया कि वह अब फैंटसी गेमिंग की जगह सोशल गेम्स और छोटे वीडियो कंटेंट पर ध्यान देगी। जूपी के संस्थापक और सीईओ दिलशेर सिंह मल्ही ने इस फैसले को एक मुश्किल लेकिन जरूरी कदम बताया।
- MPL ने भारत में अपने 60% स्थानीय कर्मचारियों (लगभग 300 लोगों) की छंटनी का फैसला लिया है
- पोकरबाजी ने 45% स्टाफ यानि करीब 200 लोगों को नौकरी से बाहर किया है
- गेम्स 24×7 ने भी कर्मचारियों को निकालना शुरू कर दिया है
छंटनी के पीछे कारण
22 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग बिल को राष्ट्रपति से मंजूरी मिली, जिसके बाद यह कानून बन गया। इस कानून में कहा गया है कि चाहे गेम्स स्किल बेस्ड हों या चांस बेस्ड, दोनों पर रोक है। सरकार का मानना है कि मनी बेस्ड ऑनलाइन गेमिंग से लोगों को मानसिक और आर्थिक नुकसान हो रहा है।
उद्योग पर प्रभाव और भविष्य की चुनौतियां
भारत में ऑनलाइन गेमिंग मार्केट अभी करीब 32,000 करोड़ रुपए का है। इसमें से 86% रेवेन्यू रियल मनी फॉर्मेट से आता था। नए नियमों के कारण इंडस्ट्री के लोगों का कहना है कि लगभग 2 लाख नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। साथ ही, सरकार को हर साल करीब 20 हजार करोड़ रुपए के टैक्स का नुकसान हो सकता है। यह स्थिति उद्योग के लिए बड़ी चुनौती बन गई है और कंपनियों को अपने व्यवसाय मॉडल में बदलाव करने के लिए मजबूर कर रही है।
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