अमेरिकी टैरिफ से राजस्थान की वूलन और यार्न इंडस्ट्री संकट में
अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ से राजस्थान की वूलन और यार्न उद्योग गंभीर संकट में है। बीकानेर, ब्यावर और भीलवाड़ा में स्थित करीब 350 फैक्ट्रियां बंद होने के कगार पर हैं। इससे लगभग 1.25 लाख मजदूरों और भेड़ पालकों के रोजगार पर खतरा मंडरा रहा है। कारोबारियों का कहना है कि इस टैरिफ के कारण 1200 करोड़ रुपये की इंडस्ट्री सिकुड़ रही है और 150-200 करोड़ के ऑर्डर होल्ड पर हैं। अगर जल्द समाधान नहीं निकला तो एक साल में इंडस्ट्री 70% तक समाप्त हो सकती है।
उद्योग पर टैरिफ का प्रभाव
राजस्थान की वूलन और यार्न इंडस्ट्री की 70% खपत अमेरिका में होती है। अमेरिका में कालीन एक आवश्यक वस्तु है जिसे फर्श और दीवारों पर लगाया जाता है। टैरिफ लगने से भारतीय उत्पाद महंगे हो गए हैं, जिससे अमेरिकी बाजार में उनकी मांग कम हो गई है। इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ रहा है।
- बीकानेर में रोजाना 2-2.5 लाख किलो यार्न का उत्पादन अब आधा हो गया है
- 150-200 करोड़ रुपये के ऑर्डर होल्ड पर हैं
- फैक्ट्रियां स्टॉक बढ़ा रही हैं लेकिन निर्यात नहीं हो रहा
रोजगार पर संकट
इस संकट का सबसे बड़ा प्रभाव मजदूरों और भेड़ पालकों पर पड़ रहा है। फैक्ट्री मालिक अभी भी मजदूरों को रोके रखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह स्थिति लंबे समय तक नहीं चल सकती। कारोबारियों का कहना है कि अगर ऑर्डर 30% रह गए तो 70% श्रमिकों की छंटनी हो सकती है।
उद्योग के लिए समाधान की आवश्यकता
उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि अगर केंद्र सरकार वित्तीय सहायता नहीं देती है तो यह उद्योग बंद हो सकता है। वे चिंतित हैं कि अगर मजदूर अपने गृह राज्यों को लौट गए तो भविष्य में उन्हें वापस लाना मुश्किल होगा। राजस्थान वूलन इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल कल्ला ने कहा कि सरकार को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है ताकि इस महत्वपूर्ण उद्योग और इससे जुड़े लाखों लोगों के रोजगार को बचाया जा सके।
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