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भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर अभिनेता और गायक दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' ने गरीबी और संघर्ष से भरे जीवन से उभरकर सफलता हासिल की है। कोलकाता की झुग्गी से शुरू हुआ उनका सफर आज भोजपुरी सिनेमा के शीर्ष पर पहुंच गया है। अपने पिता की इच्छा पर गायकी शुरू करने वाले निरहुआ ने बाद में अभिनय में भी अपनी पहचान बनाई। उनकी कहानी संघर्ष और मेहनत से सफलता पाने का एक बेहतरीन उदाहरण है। गरीबी भरा बचपन और गायकी की शुरुआत दिनेश लाल यादव का बचपन बेहद गरीबी में बीता। उन्होंने बताया कि उनके घर में अक्सर दाल और सब्जी में से किसी एक को ही बनाया जाता था। कोलकाता की झुग्गी में रहते हुए उन्होंने पढ़ाई की और अपने
गरीबी भरा बचपन और गायकी की शुरुआत
दिनेश लाल यादव का बचपन बेहद गरीबी में बीता। उन्होंने बताया कि उनके घर में अक्सर दाल और सब्जी में से किसी एक को ही बनाया जाता था। कोलकाता की झुग्गी में रहते हुए उन्होंने पढ़ाई की और अपने पिता के साथ गायकी सीखी। उनके पिता चाहते थे कि वह गायक बनें और उन्हें अपने कार्यक्रमों में गाने का मौका देते थे।
- कोलकाता में झुग्गी में रहकर की पढ़ाई और सीखी गायकी
- पिता की इच्छा पर शुरू की गायकी
- 12वीं के बाद गाजीपुर लौटे और B.Com की पढ़ाई शुरू की
संघर्ष के दिन और पहला हिट एल्बम
गायकी शुरू करने के बाद निरहुआ को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। कई बार रात भर परफॉर्मेंस देने के बाद भी पैसे नहीं मिलते थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनका पहला एल्बम ‘बुढ़वा मलाई खाई‘ हिट हुआ, जो उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। इसके बाद ‘निरहुआ सटल रहे‘ एल्बम ने उन्हें बड़ी सफलता दिलाई।
फिल्मों में एंट्री और सुपरस्टार बनने का सफर
2006 में ‘चलत मुसाफिर मोह लिया रे‘ से निरहुआ ने फिल्मों में डेब्यू किया। लेकिन उनकी असली पहचान ‘निरहुआ रिक्शावाला‘ से बनी, जिसमें उन्होंने एक गरीब रिक्शा चालक का किरदार निभाया। इस फिल्म की सफलता के बाद उन्हें ‘निरहुआ’ के नाम से जाना जाने लगा। बाद में उन्होंने अपनी एक्टिंग को बेहतर बनाने के लिए डांस और फाइट की ट्रेनिंग भी ली।
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