भारत में बढ़ता इलेक्ट्रिक वाहन बाजार: चुनौतियाँ और संभावनाएँ
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार तेजी से विकसित हो रहा है। सरकारी प्रोत्साहन और पर्यावरण चिंताओं के कारण इस क्षेत्र में निवेश बढ़ रहा है। हालांकि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और उच्च कीमतें अभी भी बड़ी चुनौतियाँ हैं। फिर भी विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में जबरदस्त वृद्धि होगी। यह बदलाव भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग और पर्यावरण दोनों पर गहरा प्रभाव डालेगा। इलेक्ट्रिक वाहन बाजार की वर्तमान स्थिति भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार तेजी से विस्तार कर रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में इस साल बिक्री में लगभग 40% की वृद्धि देखी गई है। दोपहिया वाहन इस बाजार का सबसे बड़ा हिस्सा हैं, जिसके बाद तीन पहिया और कारों
इलेक्ट्रिक वाहन बाजार की वर्तमान स्थिति
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार तेजी से विस्तार कर रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में इस साल बिक्री में लगभग 40% की वृद्धि देखी गई है। दोपहिया वाहन इस बाजार का सबसे बड़ा हिस्सा हैं, जिसके बाद तीन पहिया और कारों का स्थान है। कई बड़ी कंपनियाँ इस क्षेत्र में उतर रही हैं और नए मॉडल लॉन्च कर रही हैं।
- दोपहिया वाहन बाजार का 80% हिस्सा
- कारों की बिक्री में 50% की वृद्धि
- 20 से अधिक नए मॉडल लॉन्च होने की उम्मीद
सरकारी नीतियों का प्रभाव
केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा दी जा रही सब्सिडी और टैक्स छूट ने इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग को बढ़ावा दिया है। FAME II योजना के तहत खरीदारों को प्रत्यक्ष सब्सिडी मिल रही है। कई राज्यों ने रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क में छूट दी है। इन नीतियों से इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें पेट्रोल-डीजल वाहनों के करीब आ गई हैं।
चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ
इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के सामने कई चुनौतियाँ हैं। चार्जिंग स्टेशनों की कमी सबसे बड़ी समस्या है। लंबी दूरी की यात्रा के लिए यह एक बाधा बनी हुई है। बैटरी की उच्च लागत भी एक मुद्दा है। हालांकि तकनीकी प्रगति से इन समस्याओं का समाधान निकलने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2030 तक भारत में बिकने वाले 30% वाहन इलेक्ट्रिक होंगे। यह प्रदूषण कम करने और तेल आयात पर निर्भरता घटाने में मदद करेगा।
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