भारत में बढ़ रहा है इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन, सरकार दे रही
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार तेजी से विकसित हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों में इन वाहनों की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी और प्रोत्साहन इसका एक बड़ा कारण है। इससे न केवल प्रदूषण कम होगा बल्कि तेल आयात पर निर्भरता भी घटेगी। हालांकि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी अभी भी एक बड़ी चुनौती है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार और तेजी से बढ़ेगा।
इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती लोकप्रियता
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में पिछले दो वर्षों में लगभग 200% की वृद्धि हुई है। इसका मुख्य कारण सरकार द्वारा दी जा रही विभिन्न प्रकार की सब्सिडी और प्रोत्साहन है। इसके अलावा, लोगों में पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरूकता भी एक अहम कारण है।
- दोपहिया वाहनों में सबसे अधिक वृद्धि
- कार निर्माता कंपनियां भी इस क्षेत्र में उतर रही हैं
- बैटरी तकनीक में सुधार से रेंज बढ़ी
- कीमतों में गिरावट से मांग बढ़ी
सरकारी प्रोत्साहन और नीतियां
केंद्र सरकार ने फेम इंडिया योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी दी है। इसके अलावा, कई राज्य सरकारों ने भी अपने स्तर पर प्रोत्साहन दिए हैं। जीएसटी दरों में कमी और पंजीकरण शुल्क में छूट जैसे कदम उठाए गए हैं। सरकार का लक्ष्य 2030 तक देश में 30% वाहनों को इलेक्ट्रिक बनाना है।
चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं
इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रसार में सबसे बड़ी बाधा चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है। देश भर में पर्याप्त चार्जिंग स्टेशन नहीं हैं। इसके अलावा, बैटरी की उच्च लागत भी एक चुनौती है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में इन समस्याओं का समाधान होगा। बैटरी तकनीक में लगातार सुधार हो रहा है और सरकार चार्जिंग स्टेशन बढ़ाने पर जोर दे रही है। अनुमान है कि 2030 तक भारत का इलेक्ट्रिक वाहन बाजार 7.09 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा।
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