भारत में बढ़ रहा है कार्बन उत्सर्जन, पर्यावरण पर गहरा असर
भारत में कार्बन उत्सर्जन में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो पर्यावरण के लिए चिंता का विषय बन गया है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दशक में देश का कार्बन उत्सर्जन 40% से अधिक बढ़ गया है। इसका मुख्य कारण तेजी से बढ़ता औद्योगीकरण, शहरीकरण और ऊर्जा की बढ़ती मांग है। यह वृद्धि जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा दे रही है, जिससे मौसम की चरम घटनाओं में वृद्धि और कृषि उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि के कारण भारत में कार्बन उत्सर्जन में तेज वृद्धि के पीछे कई कारण हैं। सबसे प्रमुख कारण है जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता । देश की बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए कोयला और तेल जैसे जीवाश्म
कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि के कारण
भारत में कार्बन उत्सर्जन में तेज वृद्धि के पीछे कई कारण हैं। सबसे प्रमुख कारण है जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता। देश की बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए कोयला और तेल जैसे जीवाश्म ईंधन का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसके अलावा, तेजी से बढ़ता औद्योगीकरण और शहरीकरण भी कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि का एक बड़ा कारण है।
- जीवाश्म ईंधन पर अत्यधिक निर्भरता
- तेजी से बढ़ता औद्योगीकरण और शहरीकरण
- वाहनों की संख्या में वृद्धि
- वनों की कटाई
कार्बन उत्सर्जन का पर्यावरण पर प्रभाव
बढ़ते कार्बन उत्सर्जन का पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। इससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है, जिसके परिणामस्वरूप मौसम की चरम घटनाओं जैसे बाढ़, सूखा और चक्रवात की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हो रही है। इसके अलावा, समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है, जो तटीय क्षेत्रों के लिए खतरा है। कृषि उत्पादकता भी प्रभावित हो रही है, जो खाद्य सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
भारत सरकार ने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, विशेष रूप से सौर और पवन ऊर्जा, के विकास पर जोर देना शामिल है। सरकार ने 2030 तक अपनी 40% बिजली नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने और ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिए भी कई योजनाएं शुरू की गई हैं। वनीकरण को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं, जो कार्बन सिंक के रूप में कार्य करते
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