कसबा विधानसभा: कांग्रेस को हैट्रिक से आगे की चुनौती, राजकपूर की फिल्म
बिहार के पूर्णिया जिले में स्थित कसबा विधानसभा क्षेत्र एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का स्थान है। राजे-रजवाड़ों द्वारा बसाया गया यह क्षेत्र अपनी समृद्ध विरासत के लिए जाना जाता है। हालांकि, औद्योगिक विकास की कमी और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। 1957 से लेकर वर्तमान तक, यहाँ की राजनीति में कांग्रेस का वर्चस्व रहा है, लेकिन बीच-बीच में अन्य दलों ने भी सत्ता हासिल की। क्षेत्र के विकास और पर्यटन संभावनाओं को लेकर चर्चा होती रही है, परंतु ठोस प्रयास की कमी दिखाई देती है।
कसबा की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत
कसबा विधानसभा क्षेत्र ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक धरोहरों से भरा हुआ है। यहाँ कई महत्वपूर्ण स्थल हैं:
- जलालउद्दीन का किला
- महाभारत कालीन काली पोखर
- राणीसती का मंदिर
- पीर बाबा का मजार
- तीसरी कसम फिल्म का मेला ग्राउंड
इन स्थलों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
औद्योगिक विरासत और वर्तमान स्थिति
कभी कसबा, विशेष रूप से गढ़बनैली, एक महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र था। यहाँ सीमेंट, चूना, दाल, चावल, जूट और पेपर की फैक्ट्रियाँ थीं। लेकिन समय के साथ ये सभी उद्योग बंद हो गए, जिससे क्षेत्र की आर्थिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
राजनीतिक इतिहास और वर्तमान परिदृश्य
1957 से 2020 तक, कसबा विधानसभा क्षेत्र ने कई राजनीतिक उतार-चढ़ाव देखे हैं। कांग्रेस पार्टी ने अधिकांश समय सत्ता में रहकर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। हालांकि, बीच-बीच में भाजपा और जनता दल जैसे दलों ने भी विजय हासिल की। वर्तमान में, मो. आफाक आलम कांग्रेस से विधायक हैं, जो 2015 से लगातार इस पद पर हैं।
क्षेत्र के विकास को लेकर विभिन्न मुद्दे उठाए जाते रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है। साथ ही, ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण और पर्यटन विकास पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
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