बिहार के दिग्गज नेताओं का छात्र राजनीति में प्रवेश: लालू और नीतीश
बिहार के दो प्रमुख राजनेता लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत छात्र जीवन से की। 1970 के दशक में पटना विश्वविद्यालय में दोनों ने छात्र संघ चुनाव लड़े। लालू पहली बार हारे लेकिन दूसरी बार जीते, जबकि नीतीश पहली ही बार में सफल रहे। दोनों नेताओं के राजनीतिक गुरुओं और मित्रों ने उन्हें छात्र राजनीति में प्रवेश दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह कहानी दर्शाती है कि कैसे छात्र राजनीति ने बिहार के भविष्य के नेताओं को तैयार किया।
लालू यादव का छात्र राजनीति में प्रवेश
फुलवरिया से पटना आए लालू यादव का राजनीतिक सफर बीएन कॉलेज से शुरू हुआ। वे लोहिया की समाजवादी विचारधारा से प्रभावित हुए। सोशलिस्ट नेता श्रीकृष्ण सिंह के बेटे नरेंद्र सिंह ने लालू को छात्र राजनीति में लाने में मदद की।
- 1970 में लालू ने पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा
- पहली बार हारने के बाद उन्होंने क्लर्क की नौकरी की
- बाद में फिर राजनीति में लौटे और दूसरी बार चुनाव जीते
लालू की राजनीतिक यात्रा
हार के बाद निराश होकर लालू ने पटना पशु चिकित्सालय में क्लर्क की नौकरी कर ली। लेकिन जल्द ही उन्होंने पटना लॉ कॉलेज में दाखिला लेकर फिर से छात्र राजनीति में वापसी की और इस बार यूनिवर्सिटी छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव जीत गए।
नीतीश कुमार का छात्र राजनीति में प्रवेश
बख्तियारपुर से पटना आए नीतीश कुमार ने बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। उनके मित्र सुरेश शेखर, अरुण सिन्हा और नरेंद्र सिंह ने उन्हें छात्र राजनीति में लाया। कॉलेज में कांग्रेस विरोधी माहौल का फायदा उठाते हुए नीतीश ने अपना पहला चुनाव जीता और छात्रसंघ अध्यक्ष बने।
इस प्रकार, छात्र राजनीति ने बिहार के दो महत्वपूर्ण नेताओं को तैयार किया, जिन्होंने बाद में राज्य की राजनीति में अहम भूमिका निभाई। लालू और नीतीश की यह शुरुआती यात्रा दर्शाती है कि कैसे छात्र आंदोलन भारतीय राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण मंच रहा है।
स्रोत: लिंक