जन भागीदारी से मताधिकार को बहाल करना होगा : डीएम दिवाकर
बिहार में मताधिकार बहाली को लेकर विशेषज्ञों ने गहरी चिंता व्यक्त की है। गांधी संग्रहालय सभागार में आयोजित एक संगोष्ठी में राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों से मताधिकार बहाली में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया गया। विशेषज्ञों ने कहा कि सिर्फ मताधिकार से लोकतंत्र मजबूत नहीं होगा, बल्कि सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को भी दूर करना होगा। चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए। मताधिकार बहाली पर जोर एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट के पूर्व निदेशक डॉ. डीएम दिवाकर ने कहा कि जन भागीदारी से ही मताधिकार बहाल होगा । उन्होंने बताया कि यह राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों का दायित्व है। डॉ. दिवाकर ने यह भी कहा कि सिर्फ मताधिकार से लोकतंत्र मजबूत नहीं होगा, बल्कि समाज में व्याप्त असमानताओं
मताधिकार बहाली पर जोर
एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट के पूर्व निदेशक डॉ. डीएम दिवाकर ने कहा कि जन भागीदारी से ही मताधिकार बहाल होगा। उन्होंने बताया कि यह राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों का दायित्व है। डॉ. दिवाकर ने यह भी कहा कि सिर्फ मताधिकार से लोकतंत्र मजबूत नहीं होगा, बल्कि समाज में व्याप्त असमानताओं को भी दूर करना होगा।
- मताधिकार बहाली राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों की जिम्मेदारी
- सामाजिक-आर्थिक असमानताएं दूर करने की आवश्यकता
- जन भागीदारी पर विशेष जोर
विभिन्न दलों के विचार
संगोष्ठी में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे। भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि सभी के वोट का मान बराबर है। उन्होंने 2005 से पहले के चुनावों में बाहुबल और धनबल के प्रभाव का भी जिक्र किया। वहीं भाकपा, भाकपा माले और माकपा के प्रतिनिधियों ने भी अपने-अपने दलों का पक्ष रखा।
चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल
कई विशेषज्ञों ने चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए। सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार राय ने बिहार में एसआईआर की शुरुआत के समय पर सवाल किया। जेपी सेनानी देव कुमार सिंह ने कहा कि बिहार आज फिर 1974 के आंदोलन जैसे बदलाव के मुहाने पर है। कुछ लोगों ने चुनाव आयोग द्वारा सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के पालन पर भी प्रश्न उठाए।
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