बांका में धान खरीद लक्ष्य पूरा, पर चावल आपूर्ति में देरी
बिहार के बांका जिले में इस साल रिकॉर्ड 4.5 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन हुआ। सरकार ने 1.65 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य दिया था, जिसका 98% पूरा हो गया। लेकिन खरीदे गए धान के बदले में राज्य खाद्य निगम को चावल (सीएमआर) की आपूर्ति में देरी हो रही है। 14 सितंबर की समय सीमा से पहले लगभग 1,224 मीट्रिक टन सीएमआर की आपूर्ति बाकी है। इससे खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम प्रभावित हो सकता है। धान खरीद में सफलता, लेकिन चावल आपूर्ति में पिछड़ा जिला बांका जिले में 175 सहकारी समितियों को किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदने की जिम्मेदारी दी गई थी। इन समितियों ने लक्ष्य का 98.07 प्रतिशत पूरा करते हुए 1.59 लाख मीट्रिक
धान खरीद में सफलता, लेकिन चावल आपूर्ति में पिछड़ा जिला
बांका जिले में 175 सहकारी समितियों को किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदने की जिम्मेदारी दी गई थी। इन समितियों ने लक्ष्य का 98.07 प्रतिशत पूरा करते हुए 1.59 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा। लेकिन इस धान के बदले में राज्य खाद्य निगम को चावल (सीएमआर) की आपूर्ति में देरी हो रही है।
- 30 जून तक 1.09 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड सीएमआर देना था
- पहला एक्सटेंशन 10 अगस्त तक दिया गया
- दूसरा एक्सटेंशन 14 सितंबर तक है
- अभी भी 1,224 मीट्रिक टन सीएमआर बाकी है
सहकारी समितियों की ओर से देरी
15 सहकारी समितियों के पास अभी भी करीब 40 प्रतिशत सीएमआर बकाया है। खासकर करमा पैक्स के पास 522 मीट्रिक टन और रजौन व्यापार मंडल के पास 466 मीट्रिक टन सीएमआर की आपूर्ति लंबित है। जिला प्रशासन ने 12 सितंबर तक बकाया सीएमआर जमा करने के निर्देश दिए थे।
खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम पर पड़ सकता है असर
अगर समय पर पूरा सीएमआर जमा नहीं किया गया तो इसका असर खाद्य सुरक्षा अधिनियम पर पड़ सकता है। राज्य खाद्य निगम ने इस साल 12 चावल मिलों को निबंधित किया है, जिनमें 6 अरवा और 6 उसना चावल मिल शामिल हैं। उसना चावल मिलों में फोर्टिफाइड चावल तैयार कराकर राज्य खाद्य निगम को उपलब्ध कराना है। लेकिन कुछ सहकारी समितियों की ओर से अग्रिम सीएमआर के बदले धान का स्थानांतरण नहीं किया गया है, जिससे उनके खिलाफ कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है।
स्रोत: लिंक