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गोगरी में ग्रामीण चिकित्सकों को मिली सरकारी मान्यता: एनआईओएस

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गोगरी में ग्रामीण चिकित्सकों को मिली सरकारी मान्यता: एनआईओएस

बिहार के खगड़िया जिले में ग्रामीण चिकित्सकों को सरकारी मान्यता मिली है। गोगरी अनुमंडलीय अस्पताल में आयोजित एक कार्यक्रम में द्वितीय बैच के दर्जनों ग्रामीण चिकित्सकों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। यह कदम राज्य में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इन चिकित्सकों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान से प्रशिक्षण दिया गया है। इससे गाँवों में बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ मिलने की उम्मीद है। प्रमाण पत्र वितरण समारोह का आयोजन गुरुवार को गोगरी अनुमंडलीय अस्पताल में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने ग्रामीण चिकित्सकों को प्रमाण पत्र वितरित किए। कार्यक्रम में ग्रामीण चिकित्सा सेवा समन्वय समिति के कई पदाधिकारी भी मौजूद रहे। यह प्रमाण पत्र बिहार सरकार

प्रमाण पत्र वितरण समारोह का आयोजन

गुरुवार को गोगरी अनुमंडलीय अस्पताल में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने ग्रामीण चिकित्सकों को प्रमाण पत्र वितरित किए। कार्यक्रम में ग्रामीण चिकित्सा सेवा समन्वय समिति के कई पदाधिकारी भी मौजूद रहे। यह प्रमाण पत्र बिहार सरकार द्वारा जारी किए गए हैं।

  • दर्जनों ग्रामीण चिकित्सकों को मिले प्रमाण पत्र
  • राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त
  • प्राथमिक उपचार के लिए अधिकृत
  • गाँवों में स्वास्थ्य सेवाओं को मिलेगा बल

प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले चिकित्सक

कई अनुभवी ग्रामीण चिकित्सकों को इस अवसर पर प्रमाण पत्र दिए गए। इनमें डॉ. मंकेश कुमार, डॉ. अमरेश कुमार, डॉ. अमित कुमार, डॉ. मनोज कुमार पासवान और डॉ. रंजीत कुमार शामिल थे। साथ ही डॉ. ब्यूटीलाल तांती, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. गणेश कुमार, डॉ. रूबी कुमारी और डॉ. संजना रानी ने भी प्रमाण पत्र प्राप्त किए।

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चिकित्सकों की प्रतिक्रिया और महत्व

प्रमाण पत्र पाने वाले चिकित्सकों ने इसे अपने लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि अब उन्हें “झोला छाप” कहकर अपमानित नहीं किया जा सकेगा। यह प्रमाण पत्र उनकी योग्यता और सेवाओं की सरकारी मान्यता है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है। साथ ही, इन चिकित्सकों का मनोबल भी बढ़ेगा, जिससे वे और बेहतर सेवा दे सकेंगे।

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