लालू यादव के ‘नौकरी के बदले जमीन’ मामले पर फैसला सुरक्षित
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को ‘नौकरी के बदले जमीन’ घोटाले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह निर्णय लिया। इस मामले में लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव समेत कई लोग आरोपी हैं। अदालत अब 13 अक्टूबर तक अपना आदेश सुनाएगी। यह मामला रेल मंत्रालय में नियुक्तियों के बदले जमीन लेने के आरोपों से जुड़ा है, जिसकी जांच सीबीआई कर रही है।
मामले की पृष्ठभूमि और आरोप
‘नौकरी के बदले जमीन’ घोटाला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव केंद्र में रेल मंत्री थे। सीबीआई का आरोप है कि इस दौरान रेलवे में नौकरियों के बदले में यादव परिवार ने कथित तौर पर जमीन ली। इस मामले में:
- लालू यादव और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
- रेलवे में नियुक्तियों के बदले जमीन लेने का आरोप
- सीबीआई द्वारा 2018 में मामले की जांच शुरू
- कई राजनीतिक नेताओं और अधिकारियों से पूछताछ
कोर्ट की कार्रवाई और बचाव पक्ष
विशेष अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। सीबीआई ने अपने सबूत पेश किए, जबकि बचाव पक्ष ने आरोपों को निराधार बताया। यादव परिवार का कहना है कि यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित है।
मामले का महत्व और संभावित प्रभाव
यह मामला बिहार की राजनीति पर गहरा असर डाल सकता है। अगर यादव परिवार दोषी करार दिया जाता है, तो इससे राजद और महागठबंधन को बड़ा झटका लग सकता है। वहीं, बरी होने पर विपक्ष अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है। 13 अक्टूबर को आने वाला फैसला न सिर्फ यादव परिवार के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि बिहार और राष्ट्रीय राजनीति पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है।
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