बोले कटिहार: नाव और पटरी पर शरण लेना जीवन की मजबूरी। कटिहार में हर साल बाढ़ और कटाव से हजारों परिवार प्रभावित होते हैं। लोग घर छोड़कर रेलवे लाइन, बांध और ऊंचे स्थानों पर शरण लेते हैं। फसलें डूब जाती हैं, आवागमन मुश्किल हो जाता है। नाव ही जीवन रेखा बनती है। बच्चों की पढ़ाई रुकती है, बीमारों को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल होता है। किसानों की मेहनत बर्बाद हो जाती है। लोग मानसिक रूप से टूट चुके हैं। स्थायी समाधान और तत्काल राहत की मांग की जा रही है। (Updated 3 Sep 2025, 05:23 IST; source: link)
Key Points
- बोले कटिहार: नाव और पटरी पर शरण लेना जीवन की मजबूरी। कटिहार में हर साल बाढ़ और कटाव से हजारों परिवार प्रभावित होते हैं। लोग घर छोड़कर रेलवे लाइन, बांध और ऊंचे स्थानों पर शरण लेते हैं। फसलें डूब जाती हैं, आवागमन मुश्किल हो जाता है। नाव ही जीवन रेखा बनती है। बच्चों की पढ़ाई रुकती है, बीमारों को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल होता है। किसानों की मेहनत बर्बाद हो जाती है। लोग मानसिक रूप से टूट चुके हैं। स्थायी समाधान और तत्काल राहत की मांग की जा रही है।