हिमाचल में एंटी-चिट्टा वालंटियर स्कीम शुरू होगी: एक हजार वालंटियर
हिमाचल प्रदेश सरकार नशे की समस्या से निपटने के लिए एक नई पहल शुरू करने जा रही है। एंटी-चिट्टा वालंटियर योजना (एसीवीएस) के तहत एक हजार स्वयंसेवक तैनात किए जाएंगे। ये वालंटियर पुलिस और समाज के बीच कड़ी का काम करेंगे। वे नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाएंगे, संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देंगे और प्रभावित लोगों की मदद करेंगे। इस योजना का मुख्य उद्देश्य है नशा मुक्त हिमाचल का लक्ष्य हासिल करना। योजना की प्रमुख विशेषताएं एंटी-चिट्टा वालंटियर योजना के तहत चुने गए स्वयंसेवक कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाएंगे: समाज और युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना संदिग्ध गतिविधियों और हॉट-स्पॉट की जानकारी पुलिस को देना स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना प्रभावित व्यक्तियों को
योजना की प्रमुख विशेषताएं
एंटी-चिट्टा वालंटियर योजना के तहत चुने गए स्वयंसेवक कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाएंगे:
- समाज और युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना
- संदिग्ध गतिविधियों और हॉट-स्पॉट की जानकारी पुलिस को देना
- स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना
- प्रभावित व्यक्तियों को परामर्श और पुनर्वास केंद्रों से जोड़ना
- रैलियां, नुक्कड़ नाटक और सोशल मीडिया अभियान चलाना
वालंटियरों की सुरक्षा और प्रशिक्षण
स्वयंसेवकों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा। पुलिस उनकी पहचान गोपनीय रखेगी और संवेदनशील मामलों में सुरक्षा भी प्रदान करेगी। वालंटियरों को दो दिन का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें एनडीपीएस एक्ट, पुलिस प्रक्रियाओं और सामुदायिक सहभागिता के बारे में जानकारी दी जाएगी।
योजना का प्रभाव और महत्व
सरकार का मानना है कि इस योजना से कई फायदे होंगे। इससे जमीनी स्तर पर खुफिया तंत्र मजबूत होगा और युवाओं में जागरूकता बढ़ेगी। पुलिस और जनता के बीच सहयोग बढ़ेगा, जिससे नशे के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी। पिछले एक साल में ही प्रदेश में नशा माफिया की 42 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। यह योजना इस अभियान को और मजबूत करेगी।
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