बख्तियारपुर: इतिहास, राजनीति और विकास का संगम
बिहार के पटना जिले में स्थित बख्तियारपुर एक ऐतिहासिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहर है। प्राचीन काल में नालंदा के नाम से प्रसिद्ध यह शहर मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी द्वारा 1203 में स्थापित किया गया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जन्मस्थान होने के साथ-साथ यह क्षेत्र दलहन और दुग्ध उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। पिछले कुछ दशकों में यहाँ की राजनीति में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है, जहाँ कांग्रेस के प्रभुत्व के बाद अब भाजपा और राजद के बीच कड़ा मुकाबला होता है। विकास के मोर्चे पर भी शहर ने कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं, लेकिन कुछ चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं।
बख्तियारपुर का राजनीतिक परिदृश्य
बख्तियारपुर की राजनीति में पिछले कुछ दशकों में काफी बदलाव आए हैं। 1990 तक कांग्रेस का गढ़ रहे इस क्षेत्र में अब भाजपा और राजद का दबदबा है। दोनों पार्टियों ने अब तक तीन-तीन बार यह सीट जीती है। पिछले 40 सालों से यहाँ यादव उम्मीदवारों का बोलबाला रहा है।
- 1952 से 1990 के बीच 10 में से 9 चुनाव कांग्रेस ने जीते
- 1995 के बाद भाजपा और राजद के बीच मुख्य मुकाबला
- 2000 से 2020 तक किसी पार्टी की लगातार दो जीत नहीं
- 2020 में राजद के अनिरुद्ध कुमार ने भाजपा को हराया
आगामी चुनाव की संभावनाएँ
आने वाले चुनाव में भी मुकाबला रोचक होने की उम्मीद है। भाजपा और राजद दोनों ही अपने-अपने उम्मीदवारों को मजबूती से उतारने की तैयारी में हैं। इसके अलावा जनसुराज पार्टी भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रही है, जो मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकती है।
विकास और चुनौतियाँ
बख्तियारपुर में विकास के कई कार्य हुए हैं, लेकिन कुछ समस्याएँ अभी भी बनी हुई हैं। पटना-बख्तियारपुर फोरलेन सड़क के अलावा बख्तियारपुर-रजौली और बख्तियारपुर-मोकामा फोरलेन का निर्माण पूरा हो गया है। यहाँ अभियंत्रण कॉलेज और गंगा रिवर फ्रंट परियोजना जैसे प्रमुख निर्माण कार्य हुए हैं। हालाँकि, शहर में अतिक्रमण की वजह से जाम की समस्या अभी भी बनी हुई है। इसके अलावा, गंगा नदी पर पक्के पुल का निर्माण जैसी कुछ योजनाएँ अभी अधूरी हैं।
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