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“ऑटो बिका, जमापूंजी खत्म“, बेटों को खोने वालों का दर्द: 15 दिन

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“ऑटो बिका, जमापूंजी खत्म“, बेटों को खोने वालों का दर्द: 15 दिन

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के परासिया क्षेत्र में पिछले 15 दिनों में किडनी फेलियर से तीन मासूम बच्चों की मौत हो गई है। इन मौतों ने क्षेत्र में मातम का माहौल पैदा कर दिया है। जिला प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) से जांच कराने का फैसला किया है। पीड़ित परिवारों ने बच्चों के इलाज के लिए अपनी सारी जमा-पूंजी खर्च कर दी, लेकिन उन्हें नहीं बचा पाए। स्वास्थ्य विभाग की टीम भी मौके पर पहुंच गई है और प्रभावित इलाकों का दौरा कर रही है।

किडनी फेलियर से प्रभावित परिवारों की दास्तान

परासिया के तीन परिवारों ने अपने मासूम बच्चों को किडनी की बीमारी से खो दिया है:

  • यासीन खान ने अपने 4 साल के बेटे उसेद को खोया
  • आफरीन परवीन के 5 वर्षीय बेटे अदनान की मौत हो गई
  • अमित सोनी के 4 वर्षीय बेटे हितांश ने दम तोड़ दिया

इन परिवारों ने बच्चों के इलाज के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। यासीन खान ने अपना ऑटो और घर की महिलाओं के जेवर तक बेच दिए, लेकिन फिर भी अपने बेटे को नहीं बचा पाए। आफरीन परवीन के परिवार ने 4 लाख रुपए खर्च किए, जबकि अमित सोनी ने 8 लाख रुपए का इलाज कराया।

बीमारी का पैटर्न और प्रशासन की कार्रवाई

सभी बच्चों में पहले बुखार और जुकाम की शिकायत हुई, फिर किडनी में इंफेक्शन हो गया। स्थानीय अस्पतालों में इलाज के बाद भी हालत बिगड़ने पर बच्चों को नागपुर रेफर किया गया, लेकिन वहां भी उन्हें नहीं बचाया जा सका। प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ICMR की टीम को बुलाया है। साथ ही, स्वास्थ्य विभाग की टीम भी परासिया में डेरा डाले हुए है और 5 साल तक के बच्चों का सर्वे कर सैंपल कलेक्ट कर रही है।

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जांच और आगे की कार्रवाई

छिंदवाड़ा के कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने कहा है कि ICMR की टीम रिसर्च करके बच्चों की मौत के कारणों का पता लगाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उस पर कार्रवाई की जाएगी। अगर निजी अस्पताल भी इसके लिए जिम्मेदार पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। फिलहाल, प्रशासन की प्राथमिकता इस बीमारी के कारणों का पता लगाना और आगे ऐसी घटनाओं

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