रीस्टाइल ऐप का स्नो इफेक्ट बना भारतीय क्रिएटर्स का नया पसंदीदा
भारत के डिजिटल क्रिएटर जगत में एक नया ट्रेंड तेजी से लोकप्रिय हो रहा है – रीस्टाइल ऐप का ‘स्नो इफेक्ट’। यह AI-पावर्ड फीचर वीडियो पर सिनेमेटिक बर्फबारी का इफेक्ट जोड़ता है। हिंदी, गुजराती, मराठी और कन्नड़ सहित विभिन्न भाषाओं के क्रिएटर्स इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इस ट्रेंड की खासियत है इसकी सुलभता – कई ट्यूटोरियल और ट्रांजिशन वीडियो वायरल हो रहे हैं। यह सिर्फ एक फिल्टर नहीं, बल्कि कलात्मक अभिव्यक्ति का एक नया माध्यम बन गया है, जो AI के जरिए भारतीय क्रिएटर्स को नए तरीके से कहानी कहने का मौका दे रहा है।
स्नो इफेक्ट की बढ़ती लोकप्रियता
रीस्टाइल ऐप का ‘स्नो इफेक्ट’ भारतीय सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। यह फीचर वीडियो पर नरम, सिनेमेटिक बर्फबारी का इफेक्ट डालता है, जिससे साधारण क्लिप्स भी आकर्षक दिखने लगती हैं। इस ट्रेंड की सबसे बड़ी खूबी है इसकी सुगमता और पहुंच। अलग-अलग भाषाओं के क्रिएटर्स इसे अपने अंदाज में इस्तेमाल कर रहे हैं।
- हिंदी, गुजराती, मराठी और कन्नड़ भाषी क्रिएटर्स इस इफेक्ट के साथ प्रयोग कर रहे हैं
- कई ट्यूटोरियल और ट्रांजिशन वीडियो वायरल हो रहे हैं
- यह इफेक्ट व्यक्तिगत अभिव्यक्ति का एक नया माध्यम बन गया है
विभिन्न भाषाओं में वायरल रील्स
कई भाषाओं में ‘स्नो इफेक्ट’ के इस्तेमाल वाली रील्स वायरल हो रही हैं। एक हिंदी रील में 5.5 मिलियन व्यूज के साथ स्टेप-बाय-स्टेप ट्यूटोरियल दिखाया गया है। एक अन्य रील में 2.3 मिलियन व्यूज के साथ बिफोर-आफ्टर ट्रांसफॉर्मेशन दिखाया गया है। गुजराती में एक रील 631 हजार व्यूज पार कर चुकी है, जबकि मराठी और कन्नड़ में भी कई रील्स लोकप्रिय हो रही हैं।
AI-पावर्ड टूल्स का बढ़ता प्रभाव
‘स्नो इफेक्ट’ की लोकप्रियता दर्शाती है कि AI-पावर्ड डिजिटल टूल्स भारत के क्रिएटर इकोसिस्टम में कैसे नए तरीके से कलात्मक सहयोग और कहानी कहने को बढ़ावा दे रहे हैं। यह सिर्फ एक फिल्टर नहीं है, बल्कि एक ऐसा माध्यम बन गया है जिसके जरि
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