मेडिकल पढ़ सकेगा प्रसंता: कोर्ट ने डिसएबल्ड कैंडिडेटस को MBBS पढ़ने
कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पश्चिम बंगाल के मालदा के 22 वर्षीय प्रसंता मंडल को MBBS की पढ़ाई करने की अनुमति दे दी है। प्रसंता के दोनों हाथों में केवल 3.5 काम की उंगलियां हैं। इससे पहले कोलकाता के एक अस्पताल ने उन्हें मेडिकल की पढ़ाई के लिए अनफिट करार दिया था। कोर्ट के इस फैसले से प्रसंता का डॉक्टर बनने का सपना एक बार फिर जीवंत हो गया है। यह निर्णय दिव्यांग छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण स्थापित करता है।
प्रसंता का संघर्ष और उपलब्धियां
प्रसंता को छोटी उम्र में पोलियो हो गया था, जिसके कारण उनके हाथों का विकास रुक गया। इसके बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और कई उपलब्धियां हासिल कीं:
- 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की
- NEET UG परीक्षा उत्तीर्ण की
- ऑल इंडिया रैंक 1,61,404 प्राप्त की
- PwBD श्रेणी में 3,627 रैंक हासिल की
- अपने अधिकारों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी
अस्पताल द्वारा अनफिट घोषित किए जाने का विरोध
कोलकाता के SSKM अस्पताल ने प्रसंता को मेडिकल की पढ़ाई के लिए अनफिट घोषित कर दिया था। उनका तर्क था कि बिना उंगलियों के वह कैंची और स्केलपेल का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। लेकिन प्रसंता ने हार नहीं मानी और अपनी अर्जी लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट पहुंच गए।
कोर्ट का निर्णय और उसका महत्व
कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस बिस्वजीत बासु ने इस मामले में AIIMS मुंबई से दोबारा मूल्यांकन करवाया। AIIMS ने पाया कि प्रसंता की स्थिति उनकी मेडिकल की पढ़ाई में बाधा नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि प्रसंता का वेरिफिकेशन किया जाए और उन्हें PwBD कोटा के तहत प्रवेश दिया जाए। कोर्ट ने SSKM अस्पताल की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए और कहा कि जब अन्य प्रमुख मेडिकल संस्थान दिव्यांग उम्मीदवारों को योग्य मानते हैं, तो SSKM उन्हें बार-बार क्यों अस्वीकार करता है। यह निर्णय दिव्यांग छात्रों के अधिकारों की रक्षा करता है और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देता है।
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