बजरंग पूनिया के पिता को श्रद्धांजलि देने पहुंचे जस्सी पेटवाड़: विधायक
हरियाणा के प्रसिद्ध ओलंपिक पहलवान बजरंग पूनिया के पिता बलवान पूनिया का गुरुवार को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे। शुक्रवार को उनके पैतृक गांव खुड्डन में अंतिम संस्कार किया गया। बलवान पूनिया ने अपने बेटे बजरंग को बचपन से ही पहलवानी सिखाई थी और उन्हें ओलंपिक तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके निधन से खेल जगत में शोक की लहर है। बलवान पूनिया का जीवन और परिवार बलवान पूनिया का जन्म 22 जुलाई 1954 को हुआ था। वे चार भाइयों में सबसे बड़े थे। उन्होंने खुद भी पहलवानी की थी, लेकिन आर्थिक कठिनाइयों के कारण अपना सपना पूरा नहीं कर पाए। इसलिए उन्होंने अपने
बलवान पूनिया का जीवन और परिवार
बलवान पूनिया का जन्म 22 जुलाई 1954 को हुआ था। वे चार भाइयों में सबसे बड़े थे। उन्होंने खुद भी पहलवानी की थी, लेकिन आर्थिक कठिनाइयों के कारण अपना सपना पूरा नहीं कर पाए। इसलिए उन्होंने अपने बेटे बजरंग को एक महान पहलवान बनाने का संकल्प लिया।
- बलवान पूनिया चार भाइयों में सबसे बड़े थे
- वे स्वयं भी पहलवान थे
- उन्होंने बजरंग को 7 साल की उम्र से ही पहलवानी सिखानी शुरू की
- उनकी इच्छा थी कि बेटा देश का नामी पहलवान बने
बजरंग पूनिया के करियर में पिता का योगदान
बलवान पूनिया ने बजरंग को बचपन से ही अखाड़े के गुर सिखाए। उन्होंने अपने बेटे को एक महान पहलवान बनाने के लिए कड़ी मेहनत की। उनकी मेहनत रंग लाई और बजरंग ओलंपिक तक पहुंचे, जिससे उनके पिता का सपना साकार हुआ।
बलवान पूनिया के निधन पर शोक
बलवान पूनिया के निधन पर बजरंग पूनिया ने सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट लिखा। उन्होंने कहा, “बापूजी हमारे साथ नहीं रहे। वे हमारे पूरे परिवार की रीढ़ थे।” रविवार को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बजरंग के घर जाकर शोक संवेदना व्यक्त की। खेल जगत और राजनीतिक क्षेत्र से कई हस्तियों ने बलवान पूनिया के निधन पर दुख जताया है।
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