अधर में लटकी नहर योजना, सिंचाई संकट से जूझ रहे कैटोला
मधुबनी के कैटोला गांव में किसान गंभीर सिंचाई संकट का सामना कर रहे हैं। लगभग 100 एकड़ उपजाऊ भूमि पानी की कमी से प्रभावित है। 15 साल पहले स्वीकृत 3000 मीटर लंबी नहर का निर्माण अधूरा है, जिससे किसान परेशान हैं। पारंपरिक खेती छोड़कर वैकल्पिक फसलों की ओर रुख करने को मजबूर हैं। इससे क्षेत्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है और किसानों की आय घट रही है। अधूरी नहर योजना से किसानों की परेशानी कैटोला गांव में सिंचाई की भीषण समस्या है। 15 साल पहले स्वीकृत 25 लाख रुपये की नहर योजना अधूरी पड़ी है। इस योजना का उद्देश्य कैटोला, सलेमपुर और आसपास के खेतों तक पर्याप्त सिंचाई सुविधा पहुंचाना था। लेकिन मधुबनी मेडिकल कॉलेज के विस्तार और
अधूरी नहर योजना से किसानों की परेशानी
कैटोला गांव में सिंचाई की भीषण समस्या है। 15 साल पहले स्वीकृत 25 लाख रुपये की नहर योजना अधूरी पड़ी है। इस योजना का उद्देश्य कैटोला, सलेमपुर और आसपास के खेतों तक पर्याप्त सिंचाई सुविधा पहुंचाना था। लेकिन मधुबनी मेडिकल कॉलेज के विस्तार और अन्य प्रशासनिक अड़चनों के कारण यह योजना बीच में ही रुक गई।
- नहर निर्माण कार्य वर्षों से अधूरा
- किसान महंगे डीजल पंप और बोरिंग पर निर्भर
- पारंपरिक फसलों की जगह कम पानी वाली फसलों की खेती
- आय घटने से किसान कर्ज में डूबे
किसानों की मांग और समाधान
किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि अधूरी नहर योजना को जल्द पूरा किया जाए। इससे न केवल खेती बचेगी बल्कि ग्रामीण पलायन भी रुकेगा। जानकारों का कहना है कि यदि सिंचाई की समुचित व्यवस्था हो जाए, तो यहां धान, गेहूं, मक्का, दलहन और सब्जियों की भरपूर पैदावार संभव है।
सिंचाई संकट का व्यापक प्रभाव
सिंचाई की समस्या ने किसानों की आजीविका, स्वास्थ्य और सामाजिक स्थिति पर सीधा असर डाला है। कई परिवार मजदूरी की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। समय पर समाधान न होने पर यह एक व्यापक सामाजिक संकट बन सकता है। किसानों का कहना है कि यदि सरकार ध्यान दे तो उनकी खेती और भविष्य दोनों बच सकते हैं।
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