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हिमाचल हाईकोर्ट बोला-​​​​​​​इंसान के दांत घातक हथियार नहीं: गाल काटने

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हिमाचल हाईकोर्ट बोला-​​​​​​​इंसान के दांत घातक हथियार नहीं: गाल काटने

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें कहा गया है कि मानव दांतों को भारतीय दंड संहिता की धारा 324 के तहत ‘घातक हथियार’ नहीं माना जा सकता। यह फैसला एक ऐसे मामले में आया जहां एक व्यक्ति ने एक महिला के घर में घुसकर उसे दांतों से काटा था। न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को आंशिक रूप से पलटते हुए कहा कि दांतों से की गई चोट धारा 324 के दायरे में नहीं आती। हालांकि, अन्य आरोपों पर दोषी ठहराए जाने को बरकरार रखा गया।

मामले की पृष्ठभूमि और न्यायालय का निर्णय

यह मामला 5 मार्च, 2007 का है जब चंबा के एक दुर्गम क्षेत्र में एक महिला अपने 4 वर्षीय बच्चे के साथ घर पर अकेली थी। रात करीब 11:30 बजे एक व्यक्ति उसके घर में घुस आया और उसके साथ छेड़छाड़ की तथा उसके गाल पर दांतों से काटा। निचली अदालत ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 451, 354, 323 और 324 के तहत दोषी ठहराया था।

  • हाईकोर्ट ने धारा 324 के तहत सजा को रद्द किया
  • अन्य धाराओं के तहत दोषी ठहराए जाने को बरकरार रखा
  • दांतों को ‘घातक हथियार’ नहीं माना

न्यायालय की टिप्पणियां

न्यायमूर्ति राकेश कैंथला ने अपने फैसले में कहा कि दांतों से लगी चोट आईपीसी की धारा 324 के दायरे में नहीं आती। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि “किसी घर को किसी व्यक्ति का किला माना जाता है, और आधी रात को घर में घुसना एक गंभीर अपराध है।” इसलिए, न्यायालय ने अन्य धाराओं के तहत दी गई सजा को उचित माना।

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फैसले का महत्व और प्रभाव

यह फैसला कानूनी व्याख्या के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि धारा 324 के तहत ‘घातक हथियार’ की परिभाषा क्या है और क्या नहीं है। हालांकि, न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे अपराध गंभीर हैं और उनके लिए अन्य धाराओं के तहत कड़ी सजा दी जा सकती है। यह निर्णय भविष्य में इसी तरह के मामलों में मार्गदर्शक की भूमिका निभा सकता है।

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