भारत में बढ़ रहा है इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन, सरकार दे रही प्रोत्साहन
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में तेजी से वृद्धि हो रही है। पिछले एक साल में इन वाहनों की बिक्री में 200% से अधिक की बढ़ोतरी देखी गई है। सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी और कर छूट के कारण लोगों का रुझान इन वाहनों की ओर बढ़ रहा है। इससे न केवल प्रदूषण कम होगा बल्कि ईंधन आयात पर निर्भरता भी घटेगी। हालांकि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी अभी भी एक बड़ी चुनौती है। इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में उछाल पिछले वित्त वर्ष की तुलना में इस साल इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में 210% की वृद्धि हुई है। दोपहिया वाहनों में यह बढ़ोतरी सबसे अधिक रही है। कई नए स्टार्टअप्स ने भी इस क्षेत्र में प्रवेश किया है जिससे
इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में उछाल
पिछले वित्त वर्ष की तुलना में इस साल इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में 210% की वृद्धि हुई है। दोपहिया वाहनों में यह बढ़ोतरी सबसे अधिक रही है। कई नए स्टार्टअप्स ने भी इस क्षेत्र में प्रवेश किया है जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ी है और कीमतें कम हुई हैं।
- दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में 300% की वृद्धि
- चार पहिया वाहनों में 120% की बढ़ोतरी
- इलेक्ट्रिक बसों की बिक्री में 90% का इजाफा
सरकारी प्रोत्साहन योजनाओं का प्रभाव
केंद्र सरकार की FAME II योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी दी जा रही है। इसके अलावा कई राज्य सरकारों ने भी अलग से प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की है। जीएसटी दरों में कमी और पंजीकरण शुल्क में छूट से भी इन वाहनों की कीमतें कम हुई हैं।
चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं
हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रसार में कई चुनौतियां भी हैं। चार्जिंग स्टेशनों की कमी एक बड़ी समस्या है। बैटरी की उच्च लागत और कम रेंज भी चिंता का विषय है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में तकनीकी प्रगति से ये समस्याएं दूर होंगी। सरकार का लक्ष्य 2030 तक कुल वाहन बिक्री में 30% हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक वाहनों की करना है।
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